टोहाना –

रवि  ने माननिनिय कोर्ट में अर्ज करके लिया नास्तिक कहलवाने का हक, संभवत देश का अब तक का पहला न्यायिक मामला
अपने सभी पहचान पत्र भी इसी के अनुसार बनवाएंख्, शहीद भगत सिंह व सविधान निर्माता अंबेडकर से प्रभावित है रवि, अपने हाथों पर लिखवाया अग्रेजी में नास्तिक
मैं नास्तिक क्यों हँू कहने वाले शहीद भगत ङ्क्षसह की शहादत 57 वर्षों बाद जन्में रवि ने कोर्ट में दख्खल कर रख्चा इतिहास, कहा जाती, धर्म, बिरादरी देश को धकेल रहे है गर्त में
वर्तमान में जहां देश जाति धर्म में बटा हुआ है वहीं टोहाना निवासी एक युवा ने इस सब से अपना पिंड छुड़ा लिया है युवा ने अपने नाम के पीछे नास्तिक शब्द जोड़ लिया है युवा को ऐसा लगता है देश जाति धर्म में बटकर रह गया है वही मैं लंबे समय से घुटन महसूस कर रहा था इसलिए कोर्ट से मैंने यह हक हासिल किया है कि अब मैं किसी भी धर्म जाति से संबंध नहीं रखता हूं और मैं विवाह भी संविधान के मुताबिक कोर्ट में ही करूंगा। ऐसा कहना है टोहाना के शहीद चौक स्थित मोहल्ला के रवि का, जिसे आजकल रवि कुमार नास्तिक के नाम से जाना जाता है। चार भाई-बहनों में एक रवि ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि वो लंबे समय यह महूसस करता था कि देश व विश्व मेें जाती, धर्म, बिरादरी, मजहब इत्यिादी समस्या है जिसने इन्सान को बांट दिया है इसकों लेकर उसने एक नई शुरूवात करते हुए नास्तिक कहलाने का हक माननिय न्यालयाय के माध्यम से लिया है। जिसकी जदोजहद में कागजी कार्यवाही पुरी करने में उसे लगभग एक वर्ष लग गया है।
बता दे कि इससे पहले देश व विश्व में नास्तिक कहलाने वालों व मानने वालों की एक लिस्ट है पर कोर्ट के माध्यम से इस हक की बात करने वाले रवि विरले ही है। देश का इतिहास खगाले तो महान का्रन्तिकारी शहीद भगत सिंह भी खुद को नास्तिक कहते थे अपनी दलील को देते हुए बकायदा उन्होनें एक लेख लिखा था कि मैं नास्तिक क्यों हँॅू। सभी जानते है उनहें 23मार्च 1931 को फांसी की सजा अग्र्रेजी सामा्रज्य के द्वारा दी गई थी उनकी शहादत के 57 साल बाद ( वर्ष 1988)में जन्में रवि ने इसी कड़ी को जोडते हुए इतिहास घडऩे का काम किया है।
रवि नास्तिक के वकील राजकुमार सैनी ने बताया कि बताया कि उसने 2017 में टोहाना कोर्ट में एक दावा पेश किया था कि वह अपने नाम के पीछे किसी जाति धर्म को नहीं लिखना इसी में संज्ञान लेते  हुए टोहाना कोर्ट ने 2 जनवरी 2018 को रवि के यह हक दे दिया कि वह अपने नाम के पीछे नास्तिक लिख सकता है। रवि ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं धर्म-जाती के बन्धनों से पहले भी मुक्ति महसुस करता था पर अदालती हक के बाद उसी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। आज वो अपने -आप को स्वतन्त्र महसूस कर रहा है। रवि शहीद भगत सिंह व सविधान निर्माता अंबेडकर से खुद को प्रभावित मानता है।

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