टोहाना – पुलवामा आंतकी घटना में उदाहरण बनी टोहाना की गुरू रविदास शोभायात्रा। शहीदों के सममान में किसी भ्भी तरह के ढोल-बाजे-ताश से परहेज किया गया। राष्ट्र सर्वप्रथम की तर्ज पर शहीदों के समर्पित रही शोभायात्रा। बच्चों ने आंतकवाद के विरोध में शहीदों के सममान में ले रखे थे बैनर व पटिकका। जयभीम के साथ शहीदों को नमन के लगे नारे। पुलवामा हादसे में शहीद की तस्वीरों से लगे श्रंद्धालू चल रहे थे रविदास शोभायात्रा से आगे। तिरंगे झण्डों भी नजर आए धार्मिक झण्डों के साथ। 
पुलवामा आंतकी घटना ने हर भारतवासी के दिल को कचोटा है, झझकोरा है। इसका असर टोहाना मे गुरू रविदास की जयन्ति पर आयोजित शोभायात्राा में भी देखने का मिला। इस शोभायात्रा में पूर्व की बात करे तो इसे ढोल-ताशा, बैड-बाजा के साथ निकाला जाता था। कई तरह की झांकिया से इसे सजाया जाता था। सबसे आगे गुरू रविदास जी की पालकी चलाई जाती थी। पर इस बार नजारा बदला-बदला सा नजर आया जिसने सभी को दिल छु दिया। इस बार की शोभायात्रा देशप्रेम को समर्पित रही। ढोल-ताशा, बैड-बाजा को शोभा यात्रा में शामिल नहीं किया गया। सबसे आगे शहीदों के चित्रों व नारे से लगी तख्खतियां लेकर बच्चे शोभायात्रा की अगुवाई कर रहे थे। जयभीम के साथ शहीद अमर रहे के नारे लगाए जा रहे थे। इस शोभायात्रा को जिसने भ्भी देखा उसे सराहा। इस तरीके से समाज ने अनुठा उदाहरण बन कर शहीदों को नमन किया। आंतकवाद के विरोध में अपना विरोध भी इसमें दर्ज करवाया गया। 
    शोभायात्रा में शामिल व्यक्तियों ने यही बात कही कि हमारा उददेश्य शहीदों को श्रंद्धाजलि देना था साथ में गुरू रविदास जी की शोभायात्रा निकाला भी था इसलिए इस मौके पर हमने इस शोभ्भायात्रा को इस तरह से करने का मन बनाया जिसमें पुरा समाज एक साथ राजी हुआ। इस शोभ्भायात्रा को शहर के विभिन्न मार्गा से गुजारा गया। 

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