टोहाना-   86 वर्ष की आयु में टोहाना में ली अंतिम सांस। 
एक वर्ष तक निराहार रहने वाले संत सहज मुनि का निधन। 
जैन संस्थानक परिसर से शुरू हुई अंतिम यात्रा। 
अंतिम यात्रा में दिल्लीख्, हरियाणा व पंजाब से आए श्रद्धालु। 

हर जन जन की आस्था के केंद्र तप सम्राट सहज मुनि महाराज का देर रात्रि करीबन साढे दस बजे  देवलोक गमन हो गया है जैसे ही यह समाचार श्रद्धालुओं तक पहुंचा तो उनमें शोक की लहर दौड़ गई। सुबह तक देखते ही देखते जैन समाधि पर श्रद्धालुओं का तांता लग गया और उन्होंने अपने आराध्य को नमन कर नमस्कार महामंत्र का जाप शुरू कर दिया। शुक्रवार को दोपहर के समय उनकी अंतिम यात्रा शहर से निकाली गई। यह यात्रा जैन समाधि परिसर से शुरू होकर रेलवे रोड, लक्कड मार्केट, घंटा घर चौक, अबेंडकर चौक से भाटिया नगर होते हुए जैन समाधि परिसर में पहुंची। इस दौरान हरियाणा, पंजाब व दिल्ली सहित अनेक प्रंातों से श्रद्धालुओं ने आकर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

एसएस जैन सभा के पदाधिकारी नरेश मित्तल ने बताया कि सहज मुनि महाराज 86 वर्ष के थे, रात्रि साढे दस बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि सहज मुनि महाराज ने वर्ष 1998 में बैंगलुरू में लगातार 365 दिन तक का उपवास किया था जिसमें उन्होंने निराहार रह कर तपस्या की थी जिससे जैन समाज ने उन्हें तप सम्राट की उपाधि से नवाजा था। उन्होंने बताया कि वे मूलत पंजाब के जिला संगरूर के लहल कलां गांव के रहने वाले सहज मुनि महाराज अपने गुरु तपस्वी फकीरचंद महाराज के हाथों दीक्षित हुए थे उसके बाद से वे लगातार देशभर के विभिन्न प्रांतों में पदयात्रा करते हुए लोगों को ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप के बारे में जागरूक किया। सहज मुनि पिछले कई सालों 
से अस्वस्थ होने के कारण टोहाना में ही प्रवास कर रहे थे नरेश मित्तल ने बताया कि शुक्रवार शाम को 4 बजे तपस्वी फकीर चंद महाराज के समाधि स्थल के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया तथा यहीं उनकी समाधि बनाई जाएगी।  

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