टोहाना हरियाणा – हाईकोर्ट के आदेशों को दरकिनार करके हो रहा है प्रदेश में 500 से 700 करोड का गोलमाल अधिवक्ता विरेनद्र शर्मा ने उठाए सवाल, जनहित में उठाए गए सवाल पर विजैलस इन्कवारी शुरू, जो भी रिश्वतखोर अफसरों से शिक्षक है तंग उसकी मदद की जाएगी निशुल्क विनेन्द्र शर्मा ने जनहित में जारी की अपील। शिक्षा के मन्दिर में रिश्वत का खोरगधन्धा विजैलस की जाचं में। 
आदेश कुछ जारी होते है नीचे कुछ लागू होते है, किसी तक जानकारी पहुचती है किसी तक नहीं पहुची जहां पहुचती भी है वहां भी इसका लाभ अफसरशाही की दबगई में गुम हो जाता है। रिश्वत का कुचक्र सब निगल जाता है। नियम कानुन न्यानलय के आदेश हवा हो जाते है। ऐसा ही कुछ शिक्षा विभाग के उस नियम को लेकर है जिसमें माननिय हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर विभाग के अधिकारियों को शपथ पत्र देकर रिकवरी करने के व पे स्केल बारे निर्देश दिए थे। पर हुआ कुछ नहीं। मामला समझने में जितना पेचिदा लगता है उतने ही बडे घोटाले की बात इसके पीछे की जा रही है। घोटाला भी एक दो, दस बीस का नहीं 500 ये 700 करोड का क्या है सारा मामला इसे जानने के लिए हम मिले इस मामले का प्रकाश में लाने वाले अधिवक्ता विरेन्द्र शार्मा ने इसके बारे में विस्तार से अधिवक्ता विरेन्द्र शर्मा ने बताया कि माननिय हाई कोर्ट में एक रीट नीलम रानी वरसीज हरियाणा के नाम से फाईल हुई थी। सीपीडब्लयू नं 11254 वर्ष 2010 इसका नंबर रहा । इसके बाद माननिय हाई कोर्ट में 69रीट पटीशन फाईल हुई जिसके बाद एक लेटर वित्त विभाग हरियाणा सरकार को जारी हुआ कि इस लेटर के मुताबिक आप शिक्षकों को पे निर्धारण करके दिया जाए। क्योकि जो शिक्षक 2006 से पहले लगे थे उनका कम था जो इसके बाद 2009 में लगे थे इनका पे स्केल ज्यादा था। इसी पेस्केल को स्टअप करने के लिए यह हिदायत जारी की गई थी। जो हरियाणा सरकार के अनुभाग अधिकारी मौलिक शिक्षा अधिकारी है उनके द्वारा इसमें अनियमिता देखी गई अधिवक्ता विरेन्द्र शर्मा ने आरोप लगाए कि इसमें रिश्वत लेकर ऐसा किया गया। इससे जिला फतेहाबाद में करोडों की व प्रदेश में 500 से 700 करोड रूपए का घपला का अन्देशा है इसको लेकर उनके द्वारा शिकायत की गई है। 
जिसकी विजलैंस इन्क्वाईरी चल रही है। उन्होने कहा है कि इसके बारे में जांच में हमें शामिल करके इसकी जांच जल्दी की जाए क्योकि यह मामला शिक्षा के मन्दिर के पुजारी शिक्षक से जुडा है उसकी अनदेखी ठीक नहीं है। सरकार के खजाने से अफसरों ने करोडो रूपए की लूट की है वो वापिस होनी चाहिए। पैसा वापिस भ्भी आ सकता है क्योकि जिन को पैसा इस तरह से दिया गया वो सरकारी नौकरी पर है। क्योकि सरकार ने 2018 में एक पत्र जारी किया था कि पैसा रिकवर किया जाए पर विभाग के किसी भी अधिकारी ने पैसा रिकवर नहीं किया। 
जबकि अधिकारियों से इस बारे में शपथ पत्र भी मांगा गया था कि आप बताए कि कोई रिकवरी बकाया नहीं है इसके बावजूद आजतक कोई रिकवरी नहीं है। इसके साथ अधिवक्ता विरेन्द्र शर्मा ने जनहित में कहा है कि जिन अध्यापकों का माननिय हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद भी रिश्वतखोर अफसरों द्वारा एरियल नहीं बनाया गया वो हमसे मिले उसे निशुल्क मदद की जाएगी क्योकि यह मुददा जनहित से जुडा है शिक्षा के मन्दिर से जुडा है।

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