टोहाना –
नहीं हो पाई एशिया की सबसे बडी प्लाईवुड फैक्ट्री न्युकम की निलामी, 8साल का लंबे इन्तजार के बाद भी नहीं मिला मजदूरों को उनका हक, करना होगा अभी इन्तजार। माननीय सीजीएम कोर्ट
फतेहाबाद के आदेशानुसार होनी थी बोली। दर्जन भर बोलीदाता पहुचे मौके पर बताए गए नियमों से सन्तुष्ट नहीं हुए बोलीदाता। बोलीदाताओं ने अधिकारी से मौके की जिरह। अधिकारी ने बताया बोली होगी 40 लाख से शुरू, जमीन कौन सी होगी ये पता नहीं पर। इस बात से नाराज नजर आए बोलीदाता,कहा – हमें बताया जाए जगह के बारे में। मजदूर नेता अधिकारी के रवैय से आए नाराज।
वर्ष 1998 में कभी एशिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री बनी न्युकम प्लाईवुड पर आज ताला लटका है वो निलामी की दहलीज पर है। हिस्सेदारी में नुकसान भोग रही न्युकम से आज लगभग 14 फर्म अपना पैसा मांग रही है। जिसमें एक बड़ा हिस्सा 200 मजदूरों का है जिनकों वर्ष 2011 से वेतन, ग्रुजेअटी व अन्य लाभ नहीं मिले है। जिसके लिए वो लंबे समय से सड़क के साथ कोर्ट की लडाई लड रहे है जिनपर गौर करते हुए माननीय सीजीएम कोर्ट जिला फतेहाबाद ने आदेश दिए कि न्युकम की जमीन को निलाम करके उनका हक दिलवाया जाए। आज वो दिन भी आया पर निलामी जटिल नियमों का शिकार होकर रह गई, बोलीदाता नियमों से नाराज दिखे। किसी ने भी मौके पर जमानत राशी जमा करवाने में भी रूची नहीं दिखाई। तहसीलदार कृष्ण कुमार ने बोली की शर्त में बताया कि बोली 40 लाख से होगी पर जमीन कौन सी होगी यह नहीं बताया गया। जिससे बोलीदाता खफा नजर आए उन्होनें कहा कि उन्हें जगह बताई जाए , क्योकि इस एरिया में कुछ जगह 40 लाख से कम की है 16 लाख तक की जमीन भी यहां है। इस बारे में बोली दाता व अधिकारी के बीच जब कोई सहमति नहीं बनी तो बोली कैंसल हो गई। जिसके बारे में 21 सितंबर को कोर्ट में अधिकारी ने अपना पक्ष रखना है।
बोलीदाता प्रेम कुमार ने बताया कि उन्हें कोई निश्चित जगह नहीं बताई जा रही 40 लाख की एकड़ बताई जा रही है। जबकि इस जगह पर 16 लाख की जगह भी है। पुरे पैसे जमा
करवाने की समय भी 15दिन दिया जा रहा है। बोलीदाता राजेश कुमार ने बताया कि जमीन के कलेक्टर रेट से बोली देने को तैयार है पर हमें बताया जाए कि किस भुमि का क्या रेट है अनजान भुमि की बोली देने को हम तैयार नहीं है।
इस बारे में न्युकम मजदूर युनियन के वजीर सिंह ने बताया कि हमें उम्मीद थी कि आज हमें अपना हक मिलेगा लेकिन तहसीलदार ने जो रवैया अपनाया जिससे बोलीदाता सहमत नहीं हुए। हम पिछले कई सालों से इस लड़ाई को लड़ रहे है आज उममीद थी कि हमे हक मिलेगा पर मुझे निराशा हाथ लगी। हम फिर कोर्ट में जाएगे हमें उममीद है हमें हक मिलेगा। सितंबर 21 को फिर वो इस बारे में कोशिश करेगे।

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