कैथल
जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री एम.एम.धौंचक ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्थानीय न्यायिक परिसर में आयोजित समारोह में राष्टï्रीय ध्वजारोहण किया तथा उपस्थितगण को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज ही के दिन सन 1947 में असंक्चय शहीदों की कुर्बानी से हमें अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी और उसी आजादी के कारण ही हमें अपने मूलभूत अधिकार प्राप्त हुए हैं।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आजादी कहने के लिए तो एक शद्ब्रद है, परंतु इसकी परिभाषा और भावार्थ को कोई भी शद्ब्रदों में नही बांध सकता। आजादी मिलने से पहले हमें खुली हवा में सांस लेने तक की मनाही थी तथा अंग्रेजों के बनाए काले कानून के अनुसार ही हमें जीवन व्यतीत करना होता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमें अंग्रेजों के बनाए काले कानून से छुटकारा मिला और हमें मौलिक अधिकार प्राप्त हुए तथा हमें खुली हवा में सांस लेने की आजादी मिली। यह स्वतंत्रता हमें अनेक वीर सपूतों के बलिदानों और त्याग का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि आजादी हमें किसी व्यञ्चित विशेष के कारण नही, बल्कि सभी भारतीयों की एकता का परिणाम है। देश में अनेक क्रांतिकारी एवं देशभञ्चत पैदा हुए, जिन्होंने अपने सर्वोच्च बलिदानों से आजादी की गौरव गाथा लिखी। इन क्रांतिकारियों में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरू, सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, रामप्रसाद बिस्मिल खां, रानी लक्ष्मी बाई, बाल गंगाधर तिलक, सरदार पटेल आदि शामिल हैं। आजादी का पहला बिगुल 1857 में अंबाला छावनी से बजाया गया था तथा 1857 से 15 अगस्त 1947 तक अनेक भारतीय वीर सपूतों ने अपनी कुर्बानी दी।

श्री एम.एम.धौंचक ने कहा कि आजादी हमें उपहार में नही मिली, बल्कि इसके लिए असंक्चय भारतीयों ने अंग्रेजों की यातनाएं सही तथा अपने प्राण न्यौछावर किए। आज हमें स्वतंत्रता दिवस के राष्टï्रीय पर्व पर इन वीर सपूतों व क्रांतिकारियों को याद करने के साथ-साथ उनके दिखाए मार्ग पर चलकर एक सर्वश्रेष्ठï भारत की कल्पना को साकार करने के लिए अपना योगदान देना है। उन्होंने कहा कि आज समाज में अनेक प्रकार की कुरीतियां फैली हुई हैं और भ्रष्टïाचार इन सबमें सबसे बड़ी बीमारी है, जो हमारे राष्टï्र को धीमक की तरह खा रही है। यदि एक पंञ्चित में भ्रष्टïाचार का वर्णन किया जाए तो जब कोई व्यञ्चित न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वही भ्रष्टïाचार है। भ्रष्टïाचार के कई रूप हो सकते हैं, जैसे रिश्वत लेकर या देकर काम करना या करवाना, खरीद फरोक्चत, काला बाजारी आदि।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टïाचार न केवल कार्यपालिका, विधायिका में व्याप्त है, अपितू इसका कुप्रभाव न्याय पालिका में भी देखने को मिल रहा है। न्याय पालिका में कोई भी व्यञ्चित न्याय पाने की आशा में धर-धर की ठोकरे खाने के बाद उक्वमीद लेकर आता है। परंतू यदि उसको भारतीय संविधान के अनुसार न्याय न मिलें तो उस व्यञ्चित की मनोदशा का अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं। स्वतंत्रता संग्राम में प्राणों की बलि देने वाले वीर शहीदों को हमारी यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम उनके बताए मार्ग पर चलकर उनके सपनों के सुदृढ़ राष्टï्र के निर्माण में सहयोग करें। आज हमें अपनी भावी पीढिय़ों को भी यह संकल्प दिलवाना होगा कि वे 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस को एक राष्टï्रीय पर्व के रूप में मनाते रहें।

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